उत्तराखण्ड मनोवैज्ञानिक संस्थान का पुनर्गठन एवं सशक्तिकरण, डॉ. देवेंद्र ढल्ला बने अध्यक्ष।
देहरादून:विश्व सुसाइड रोकधाम दिवस (World Suicide Prevention day ) कि पूर्व संध्या पर राजधानी देहरादून के एक निजि अतिथि गृह में उत्तराखण्ड मनोवैज्ञानिक संस्थान (रजि) का पुनर्गठन एवं सशक्तिकरण समारोह सम्पन्न हुआ। इस आयोजन में संस्थान की पूर्व संस्थापक सोनिया लूथरा सहित वरिष्ठ सदस्य, शिक्षाविद् और मनोविज्ञान क्षेत्र से जुड़े विद्वान उपस्थित रहे।
इस अवसर पर वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक, परामर्शदाता एवं शिक्षाविद् डॉ. देवेंद्र ढल्ला को सर्वसम्मति से संस्थान का अध्यक्ष चुना गया।
संस्थान की स्थापना वर्ष 2010 में की गई थी। स्थापना काल से ही इसका उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जन-जागरण, शिक्षकों व विद्यार्थियों का मार्गदर्शन और समाज में मनोविज्ञान की भूमिका को सशक्त करना रहा है। पिछले पन्द्रह वर्षों में संस्थान ने विभिन्न शिविरों, कार्यशालाओं और संवाद कार्यक्रमों के माध्यम से हज़ारों विद्यार्थियों, शिक्षकों और अभिभावकों को लाभान्वित किया है।
तेज़ी से बदलते सामाजिक और शैक्षिक परिदृश्य, बढ़ती मानसिक समस्याओं, विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (सी.डब्ल्यू.एस.एन.) की चुनौतियों तथा सुसाइड से जुड़े संकटों को देखते हुए संस्थान का पुनर्गठन आवश्यक हो गया।
डॉ. ढल्ला ने विशेष रूप से कहा कि आज परिवार परामर्श (Family Counselling) की अत्यधिक आवश्यकता है।
आजकल माता-पिता और बच्चों के बीच संवाद की कड़ी लगातार विलुप्त हो रही है, जिससे पीढ़ीगत दूरी, गलतफहमियाँ और भावनात्मक टूटन बढ़ रही है। यही दूरी आगे चलकर तनाव, अवसाद, आक्रामकता और सुसाइड जैसे संकटों का कारण बनती है। संस्थान का प्रयास रहेगा कि परिवार को फिर से एक संवादात्मक मंच पर लाया जाए और माता-पिता तथा बच्चों के बीच भावनात्मक संबंधों को मज़बूत कर मनोवैज्ञानिक समस्याओं को जड़ से कम किया जा सके।
डॉ. देवेंद्र ढल्ला ने अपनी कार्ययोजना में विशेष रूप से नशा मुक्ति, सुसाइड रोकधाम, परिवार परामर्श एवं डिजिटल संयम अभियानों पर बल दिया। प्रमुख बिंदु इस प्रकार रहे –
1. विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए विशेष परामर्श की व्यवस्था।
2. विद्यालयों में सर्वसमावेशी शिक्षा को प्रोत्साहित करने हेतु शिक्षकों का प्रशिक्षण।
3. अभिभावकों के लिए मार्गदर्शन शिविरों का आयोजन।
4. विद्यार्थियों और युवाओं में तनाव, चिंता, अवसाद व आक्रामकता पर संवाद।
5. परिवार परामर्श – माता-पिता और बच्चों के बीच संवाद को पुनर्जीवित करना, ताकि पीढ़ीगत दूरी कम हो और पारिवारिक तनाव घटे।
6. सुसाइड रोकधाम और नशा मुक्ति अभियानों का संचालन।
7. ग्रामीण क्षेत्रों में सामुदायिक मानसिक स्वास्थ्य शिविर आयोजित करना।
8. शिक्षकों के लिए मनोवैज्ञानिक प्रशिक्षण और तनाव प्रबंधन कार्यक्रम।
9. शिक्षा परिषदों की मानसिक स्वास्थ्य नीतियों को विद्यालय स्तर पर लागू कराना।
10. राज्य स्तरीय मानसिक स्वास्थ्य अध्ययन एवं सर्वेक्षण।
11. प्रमाण-आधारित मनोवैज्ञानिक ढाँचे तैयार कर लागू करना।
12. युवा मार्गदर्शन – व्यवसायिक परामर्श और जीवन कौशल प्रशिक्षण।
13. पारिवारिक विवाद समाधान, आक्रामकता नियंत्रण और डिजिटल संयम अभियान।
पुनर्गठन के अंतर्गत नई कार्यकारिणी का गठन किया गया। प्रमुख रूप से शामिल नाम सोनिया लूथरा – संरक्षक, डॉ देवेंद्र ढल्ला- नवीन वर्तमान अध्यक्ष, पारस – सदस्य, अंजू पाल – सदस्य, अंजना शर्मा – सदस्य, अभिषेक धीमान – सदस्य एवं अन्य सक्रिय सदस्यों को उनकी विशेषज्ञता के अनुसार ज़िम्मेदारी सौंपी गई। विश्व सुसाइड रोकधाम दिवस पर आयोजित यह कार्यक्रम अत्यंत महत्वपूर्ण रहा। शिक्षा, परिवार और मनोविज्ञान का गहरा सम्बन्ध समाज की मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक नींव को सशक्त करता है।
संस्थान की पूर्व संस्थापक सोनिया लूथरा ने कहा –
“सन् 2010 से संस्थान निरन्तर मानसिक स्वास्थ्य की दिशा में कार्यरत है। अब पुनर्गठन के साथ डॉ. देवेंद्र ढल्ला के नेतृत्व और नई कार्यकारिणी की ऊर्जा से यह और अधिक सशक्त होकर कार्य करेगा।”
उत्तराखण्ड मनोवैज्ञानिक संस्थान(रजि) का यह पुनर्गठन केवल संगठनात्मक परिवर्तन नहीं, बल्कि राज्य में मानसिक स्वास्थ्य और सुसाइड रोकधाम जागरण की नई शुरुआत है। डॉ. देवेंद्र ढल्ला के नेतृत्व और नई कार्यकारिणी की सक्रिय भूमिका के साथ यह संस्थान आने वाले समय में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों, विद्यार्थियों, शिक्षकों, अभिभावकों और परिवारों के लिए व्यापक योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध है।
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